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सपने / एकांत श्रीवास्तव
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सपने
थकान भरी रात में
जल-तरंग की तरह
बजेंगे
हमारी याञा में
हिलेंगे पेड़ों की
सघन पंक्ति की तरह
सपने
हजार-हजार पक्षियों के कंठ
एक साथ खुलेंगे
मौसम की चुप्पी के विरूद्ध
हर बार
सुस्ताते किसी पेड़ की
घनी छाया में
हम पियेंगे
पृथ्वी के मीठे और ठंडे कुंड से
सपनों का एक घूंट जल
सपने
दूध से उजले
रेशम से मुलायम
सामने हमारी आंखों के
इन्हें होना है सच.