भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सफलताक शिखर / कस्तूरी झा ‘कोकिल’
Kavita Kosh से
गुलाबक फूल,
तोड़बाक हैतु,
हाथ बढ़ैबै तऽ
आँगुर में काँट
अवश्ये चूमत।
सफलताक शिखर
पहुँचबाक लेल
मुसीबत क पहाड़
पार करैइए पड़त।
-28.05.1985