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सफलता / प्रदीप मिश्र
Kavita Kosh से
सफलता
सफल प्रेमी के पास
सबकुछ था
प्रेम नहीं
सफल संगीतकार के पास
सबकुछ था
संगीत नहीं
सफल नायक के पास
सबकुछ था
वे लोग नहीं
जिन्होंने बनाया था
उसे नायक
सफल राज़नीतिज्ञ के पास
सबकुछ था
नीति नहीं
केकड़े की संतान और सफलता
के बीच एक जुगलबंदी है
जिसके स्वर में जड़ें नहीं है
एक आकाश है जिसका रंग सफेद पड़ चुका है।