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सबसे न्यारे बगुला जी / मधुसूदन साहा
Kavita Kosh से
उजले-उजले पंखों वाले
सबसे न्यारे बगुलाजी।
ध्यान लगाये कब से देखो
खड़े हमारे बगूलाजी,
जड़े हमारे बगुलाजी,
जब चाहोगे मिल जायेंगे
नदी किनारे बगुलाजी।
दिन भर अपना काम छोड़कर
कहीं न जाते बगुलाजी,
मेढक-मछली जो मिल जाते
झट से खाते बगुलाजी,
अपनी धुन में रत रहते हैं
सांझ-सकारे बगुलाजी।
हरदम कठिन तपस्या करते
एक टांग पर बगुलाजी,
जाने कब से अड़े हुए हैं
एक माँग पर बगुलाजी,
जग को तप की सीख सिखाते
प्यारे-प्यारे बगुलाजी।