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सबसे श्रेष्ठ महान / मधुसूदन साहा

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गौरव गरिमा से अभिमंडित, सबसे श्रेष्ठ महान।
प्राणों से बढ़कर प्यारा है, अपना हिंदुस्तान॥
हरे भरे वन उपवन इसके
फूलों से भरपूर,
गंगा यमुना जैसी नदियाँ
करती सब दुख दूर,
इसे मिला है प्रकृति प्रेम का, इक अद्भुत वरदान।
प्राणों से बढ़कर प्यारा है, अपना हिंदुस्तान॥
कण कण में है मानवता का
चीर संचित इतिहास,
पग पग पर भाईचारे का
मिलता है अहसास,
गौतम गांधी की यह जननी यहीं हुए रसखान।
प्राणों से बढ़कर प्यारा है, अपना हिंदुतान॥
हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, इसाई
सबको इससे प्यार,
सब अपने-अपने हाथों से
इसको रहें सँवार,
कहीं हो रहे पूजन अर्चन, गूँजे कहीं अजान।
प्राणों से बढ़कर प्यारा है, अपना हिंदुस्तान॥
हम हैं इसके सेवक रक्षक
हम हैं पहरेदार,
सुन सकते हम नहीं कभी भी
दुश्मन की ललकार,
मिट जाएँगे, मगर न मिटने देंगे इसकी शान।
प्राणों से बढ़कर प्यारा है, अपना हिंदुस्तान॥