भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सब रंग पटिया समटू सुहबे / मैथिली लोकगीत
Kavita Kosh से
मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
सब रंग पटिया समटू सुहबे
दुलहा सँ ओछबाउ हे
पटिया ओछयबामे जसमस करता
मारब चाट घुमाय हे
टेढ़-टूढ़ जुनि पटिया ओछाएब
रूसि रहती सुकुमारि हे
हँसी खुशी पटिया ओछाएब
हँसती सिया सुकुमारि हे