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समझा ले अपनो लाल री / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
समझा ले अपनो लाल री मेरी छुप गयो आज अटरिया में
मैं गोबर गेरन जाऊं मेरे संग चले है नन्द लाला
मेरो गोबर को तो गोबर बखेरो धर गयेा डुक्क कमरिया में
समझा ले अपनो लाल री...
मैं पानी भरने जाऊं मेरे संग चले है नन्द लाला
मेरो पानी को तो पानी पीयो मेरे कर गयो छेद मटकिया में
समझा ले अपनो लाल री...
मैं दूध बिलोवन जाऊं मेरे संग चले है नन्द लाला
मक्खन को मक्खन खायो मेरी कर गयो छेद मटकिया में
समझा ले अपनो लाल री...