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समझ / संगीता गुप्ता
Kavita Kosh से
युगों को पार कर
मन का मन तक
पहुँचना
अभिभूत कर गया
उसको जानने की प्रक्रिया में
स्वयं को जानना, समझना
उस तक पहुँचना
लौटना स्वयं तक
विस्मय के
इस सुख में
डूबती
वह महसूसती
प्रेम से
बड़ी होती
समझ