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समदर / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
समदर-
धरती रो
कळयांदार घाघरो !
आभो-
बादळां री
कारी दियोड़ी लूघड़ी !
तावड़ी-
सोनल कांचळी !
फतूई-
सूआ पंखी दूबड़ी !