भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
समय / रोज़ा आउसलेण्डर
Kavita Kosh से
समय
है मेरा मित्र
मेरा शत्रु
खाती हूँ मैं मधुर फल इसका
करती हूँ मैं सुरभिपान इसका ।
हर समय
हैं मेरा समय
विस्मय ।।
मूल जर्मन भाषा से प्रतिभा उपाध्याय द्वारा अनूदित