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समुद्र के किनारे / त्रिलोचन

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आज हम समुदर के किनारे हैं

जीवन का ज्वार यहाँ
आता है तो आता हैं
क्या क्या साथ लाता है
शंख, सीप, घोंघे
जलचर जीव
और भी बहुत कुछ

जीवन का ज्वार यहाँ
आता है तो आता है
हरियाली और बढ़ आती है
उदासी उड़ जाती है
लजाती हुई वेला
चादर को जरा और खींच लेती है

ज्वार
फिर ज्वार
फिर ज्वार ज्वार ज्वार ज्वार
अट्टहास फेनिल तंरगो का
लगातार
थोड़ी देर बाद
सभी लहरें
एक- एक
वहीं लौट जाएँगी
जहाँ से बढ़ आई हैं
फिर
भीगी वेला रह जाएगी
समीर यहाँ आएगा
समुद्र की कहानी कह
आगे बढ़ जाएगा