गिर जाने दो भेद भाव की
ये ऊँची दीवारें
आओ मिलकर भारत माँ की
हम आरती उतारें। गिर जाने दो-
भेद नहीं है किसी धर्म में
एक राह के राही हम
हिन्दू मुस्लिम सिख नहीं हैं
ओर न ईसाई हैं हम
इसीलिए अब एक ईश को
आओ आज पुकारें। गिर जाने दो-
भाषा का भी भेद अरे क्यों
बड़ी मन की भाषा
ह्रदय ह्रदय की बात समझले
वही है अपनी भाषा
प्रेम भरी वाणी से ही हम
सबको आज पुकारें। गिर जाने दो-
हम भारत वासी है अपने
एक आत्म को माना है
सब में बसती एक आत्मा
हमने अब तक जाना है
एक देवता, राष्ट्र देवता
इस पर तन मन वारें।
गिर जाने दो