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सरब भखसी / कन्हैया लाल सेठिया

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कुण है इस्यो
जको
मिला सकै
काळ री अपलक आंख स्यूं
आंख ?
इण सरब भखसी री
लपलप करती
सोनै री जीभ
आ बासदै,
आ आखी धरती
पसारयोड़ी हथेळी
जिण री गरमी स्यूं
पिळगळ‘र हुज्यावै नागा
डीघा हिमाळा,
नाच कूद‘र
जकी पर
धाप ज्यावै
बापड़ा बड़ाबोला समन्दर !
ओ भमतो बायरो
इण रो रणजयी घोड़ो
घाम सकै लगाम
आ किण री खिमता ?
ओ गिगनार ही
एक इस्यो
जको कोनी करै
चीनी‘क गिनार
सुण‘र
बादळियां रै
ओलै लुक्योड़ै
इण डाकी‘रीं डकार !