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सवाल नज़रों का / मधुछन्दा चक्रवर्ती
Kavita Kosh से
उसने मुझे
बड़े गौर से
एक बार देखा,
उसकी नज़रों में
कई सवाल थे,
मेरी नज़रें भी
सवालों से भरी थीं,
उसकी नज़रों के सवालों
को जानना चाहती थी,
पर जवाब किसी के
पास नहीं था,
सवाल ये नजरों का था।