सातवों-सर्ग / सिद्धो-कान्हू / प्रदीप प्रभात
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सातवों-सर्ग
आजादी के बाद
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हमरोॅ धरती धन्य-धन्य छै,
ऊ मैय्या के हृदय विशाल।
जै कोखी जनम लेनेॅ रहै,
सिद्धो-कान्हू चांद भायरो रं लाल।
क्रान्ति स्थल पंचकठिया स्थापित,
सिद्धो-कान्हू प्रतिमा महाविशाल।
औरत के सम्मान लेली,
बहिन फूलों-झानों उठैलेॅ छेलै कटार।
वीर शहीद सिद्धो-कान्हू के प्रतिमा,
भोगनाडीह, पंचकठिया महा-विशाल।
जेकरोॅ नीचें लिखलोॅ गेलोॅ छै,
सिद्धो-कान्हू मुर्मू नाम मिशाल।
क्रान्तिस्थल पर राजनेता
आबै है श्रद्धा के फूल चढ़ाबै लेॅ।
सिद्धो-कान्हू प्रतिमा पर,
आपनोॅ लोॅर चुआबै लेॅ।
राजनेता जबेॅ करै अर्पण,
श्रद्धांजलि जबेॅ आबी केॅ।
हुनकोॅ स्वागत होय छै,
गीत मनोहर गाबी केॅ।
विश्व विद्यालय सिद्धो-कान्हू मुर्मू दुमका,
अमर शहीदोॅ के नाम सजावै आपनोॅ भाल।
संताल परगना के चौक-चौबटिया,
मूर्ति हिनकोॅ छै मिसाल।
विद्यान सभा भवन करनेॅ छै,
अमर शहीदों केरो मान।
सिद्धो-कान्हू सेॅ बढ़लोॅ छै,
अंग जनपदों के सम्मान।
अंगजनपद के कवि लेखकेॅ,
करलें छै ढेरी गुणवान।
शहीदों के सम्मानोॅ मेॅ
11 अप्रैल केॅ सिद्धों के जयंती
30 जून के हूल दिवस ओगनडीह में मनावै है।
सिद्धो-कान्हू, चांद भायरों केॅ आगू
ई जनपद के लोगेॅ शीश झुकावै छै।