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साथिया और मत सता हम को / रंजना वर्मा
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साथिया और मत सता हम को
इश्क़ में जाने क्या हुआ हम को
जाने क्यों है ख़ुदा भी रूठ गया
अब तेरा ही है आसरा हम को
दे वफ़ाओं का तू हमें न सिला
राह में पर न दे गिरा हम को
कह न पाये लबों से हम जो भी
है नज़र ने दिया बता हम को
हम तो खुद को ही भुला बैठे हैं
अब हमारा ही दे पता हम को
तू कहे जो वो सच हमारा है
तेरा मंजूर फैसला हम को
हम भटकने लगे हैं बे मक़सद
राह कोई तो दे दिखा हम को