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साथ / वेणु गोपाल
Kavita Kosh से
अंधेरे में हो
इसीलिए
अकेले हो
रोशनी में आओगे
तो
कम से कम
अपने साथ
एक परछाईं
तो
जुड़ी पाओगे।
(रचनाकाल :05.10.1977)