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सारे नाते निभा गयीं आँखें / रंजना वर्मा

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सारे नाते निभा गयीं आँखें
जब से दिल मे समा गयीं आँखें

ख़्वाब कितने ही जगा देती हैं
मन को कुछ ऐसे भा गयीं आँखें

है कसक जैसी नज़र में उनकी
दर्द दिल का सुना गयीं आँखें

कुछ न कह के भी बहुत कुछ कहतीं
जाने क्या क्या बता गयीं आँखेँ

है मुहब्बत की अजब लज़्ज़त ये
रोग दिल को लगा गयीं आँखें

लब पे मुस्कान सजाये रक्खी
भेद फिर भी बता गयीं आँखें

दिल के अंदर हैं दुबक के बैठीं
कितना बेबस बना गयीं आँखें