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सार जीवन आज देते / प्रेमलता त्रिपाठी
Kavita Kosh से
सार जीवन आज देते, जो हवाला देखिए।
कंठ तक मद में भरे है, साथ प्याला देखिए।
अर्थ जीवन दे रहे जो, अर्थ की ही भावना,
भूख जिह्वा दंत छीने, वह निवाला देखिए।
है तड़पती प्यास लेकर, शून्य में देखे सदा,
भाग्य को है कोसती हत, है कराला देखिए।
मार मन जीते रहे जो, कौन उनको पूछता,
हर कदम उठतें वहीं है, नित सवाला देखिए।
है गरीबी भूख से हर, पल बिखरती कामना,
देश माँगे आज कैसा, यह उजाला देखिए।