भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सितारो मुझे माफ़ कर देना / सुन्दरचन्द ठाकुर
Kavita Kosh से
सितारो
मुझे माफ़ कर देना
तुम्हारी झिलमिलाहट में सिहर न सका
पहाड़ो
माफ़ करना
मुझे सिर उठा कर जीना न आया
पुरखो
मुझ पर ख़त्म होता है तुम्हारा वंश