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सिहरती है शाख़ / नंदकिशोर आचार्य

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सिमटना चाहती है
         घोंसले में
एक अनन्त उड़ान

होना चाहता है
          घोंसला
          आकाश

दोनों की कामना से
सिहरती है शाख़ ।

19 मई 2009