भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सीख / कन्हैया लाल सेठिया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खोद हाल
और उंडी नींव
जे चावै
उठाणो
सतखंडो मै‘ल
बिन्यां
मिल्यां
माटी री अपणायत
मती करी
अकाश रो विश्वास
कोनी बीं नै
कोट‘र कंगूरा रो कोड,
जे नहीं हुवैलो
जड़ रो जुड़ाव
बीं री जोड़ायत धरती स्यूं
सूंघैला
चनेक में ही धूल
सिरजण रा सपनां
चिंत्योड़ी कलपना !