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सुकुमार प्राणी / मरीने पित्रोस्यान / उदयन वाजपेयी
Kavita Kosh से
मनुष्य
नाज़ुक प्राणी है
आसानी से डर जाता है
उम्मीद खो देता है आसानी से
आसानी से मर जाता है ।
मनुष्य हमेशा
कँटीली सेही जैसा है ।
भले ही वह ऊपर से
भालू जैसा हो
या मगरमच्छ जैसा ही,
उसका हृदय
बहुत तेज़ी से धड़कता है
सेही के नुकीले काँटों के नीचे
धड़कते हृदय की तरह
यह ज़रूर है
सेही
मार डाले जाने और
खा ली जाने से
डरती है
मनुष्य
प्रेम न किए जाने से ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : उदयन वाजपेयी