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सुगन्धि आ धुआंँ / दीपा मिश्रा

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काल्हि हम पितासँ कहलियैन
हलुआ बनौने रही
सबकेँ बड नीक लगलैन
आइ भोर ओ फ़ोन पर पुछलैन
'हमरो हलुआ खाइ के मोन होइए
लेकिन ओहने जेहेन
अहाँक माँ बनबैत छलीह
कनेक हमरा सिखा देब?
अहाँक माँके हाथक सुआद आबे मुदा।'

मोनहि मोन जी कलपि उठल
कहिओ भनसाघर दिस नै जाइ बला हमर पिता आइ
वएह सुआद लेल बेकल छथि
जे हमर माएक हाथमे छल
जखनि कि हुनको बूझल जे
ओ सुआद आब मात्र स्मृति भरि शेष अछि।

ओ अपने सुरे बजैत रहलैथ
'नहि जानि ओ की करैत छलीह
जे हुनकर बनाओल सब किछु
अमृतसन सुआद दैत छल'
ई कहैत ओ माएके भानसक प्रशंसामे डूबि गेल छलाह
एम्हर हमर मोनमे नाचय लागल
माएक भनसाघर जे माएक सम्पूर्ण दुनिया छल
ओ ओतय ओतबी चहकैत रहैत छलीह जतेक नेना सब कोनो खेल खेलाइ काल देखना जाइए।

हुनकर डिब्बा डुब्बी हुनक सन्तान सन छल
चमकैत बर्तन सब,सजाके राखल समान कोना बिसरब
आइ ओ सब माएक हाथ लेल तरसि गेल अछि
तड़पैत त' हमहूँ सब छी
हुनकर छोलनी,झांझ,लोहिया सब के आइओ पिता चमका के रखैत छथि
हुनकर कतेको बर्तन ओहिना नब रहि गेलैन किछु विशेष दिनक प्रतीक्षामे
जे हुनकर जीवनमे घुरिके फेर नै आएल
ई हम सब मानि चुकल छी जे आब ओ नै घुरती
मुदा ओ बर्तन ओ भनसाघर मानय लेल तैयार नहि ।

विडियो कालमे हम सब किछु देख रहल छी
छोट छिन लोहियामे हमर निर्देशानुसार पिता घी में
सूजी कम आंच पर भुजि रहल छथि
चीनी,मेवा,अरांची बूकल सब सजाके राखि लेलैन
ओ हमर माएक हाथक सुआद लेल तन्मयतासँ हलुआ बना रहल छथि
भुजाइत सूजीसँ धुआँ संग
हल्का हल्का
सोन्हगर पाकक सुगंधि निकलि रहल
ओ सुगंधि हमरा चारूकात माए जेना घेर लेलक
हमर आँखिमे धुआँ भरैत जा
रहल
किओ गेट पर खटखटा रहल अछि
कहि हम फ़ोन राखि दैत छी