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सुण बात म्हारी / इरशाद अज़ीज़
Kavita Kosh से
औ कांई हुयग्यो
उडग्या थारा तोता
साच साम्हीं आवतां ई
इयां ईज हुवै
झूठ अर चोर रा पग
काचा हुया करै
साच चुप रैवै
हाको नीं करै
धोळो धक हुय जावै
कूकतो-कूकतो झूठ
नीं ठाह पड़ै तो
काच देख कदैई।