सुनोॅ सजनी / ब्रह्मदेव कुमार
साजन- सुनोॅ-सुनोॅ-सुनोॅ हमरोॅ बात सजनी
चलोॅ पढ़ै-लिखै लेॅ हे।
पढ़ै-लिखै लेॅ चलोॅ, पढ़ै-लिखै लेॅ हे
पढ़ी-लिखी दुनियाँ के रीत सजनी
चलोॅ-चलोॅ सीखै लेॅ हे।
सजनी- सुनोॅ-सुनोॅ-सुनोॅ हमरोॅ बात सजन
हो पढ़ै-लिखै के हो।
पढ़ै-लिखै के, हो पढ़ै-लिखै के हो
आबेॅ कहाँ रहलै ऊ बात सजन
हो पढ़ै-लिखै के हो।
साजन- हम्हूँ टिप्पा छाप सजनी, तहूँ टिप्पा छाप हे
अनपढ़ रहना छै, सबसे बड़ोॅ पाप हे।
टिप्पा के मिटैबै निशानी हे सजनी
चलोॅ पढ़ै-लिखै लेॅ हे।
सजनी- केना केॅ जैबै हम्में पढ़ै लेॅ इस्कूल
लाजोॅ-शरम सेॅ मरी जैबै हम्में हो।
आबेॅ रहलै कहाँ उमर हे सजन,
हो पढ़ै-लिखै के हो।
साजन- साक्षरता-केन्द्र गाम्हैं-टोला में खुललै
काॅपी-किताब आरो सिलोठोॅ जे मिललै।
गाम्हैं के पढ़ुवां पढ़ाबै सजनी,
चलोॅ पढ़ै-लिखै लेॅ हे।
सजनी- दिन भरी काम करी, थकै छै देहिया
साँझै सेॅ निन्दिया सेॅ, झूपै छै अखिया।
आबेॅ कहाँ रहलै समईया सजन,
हो पढ़ै-लिखै के हो।
साजन- जेना हवा, पानी आरो खाना जरूरी
सुन्दर देहिया पेॅ गहना जरूरी।
वैन्हें छै पढ़ना जरूरी हे सजनी
चलोॅ पढ़ै-लिखै लेॅ हे।
सजनी- सुन्दर देहिया पेॅ एकोॅ नै गहना
बोलोॅ-बोलोॅ पिया कैह्या पुरतै सपना।
बितलोॅ जाय छै, हमरोॅ जिनगी सजन
हो पढ़ै-लिखै के हो।
साजन- पढ़ी-लिखी दुन्हूँ मिली नौकरी करबै हे
जिनगी में ऐतै खुशी बेकारी मिटतै हे
कीनी देभौं नथुनी, झुलनी हे सजनी
चलोॅ पढ़ै-लिखै लेॅ हे।
सजनी- पिया तोरोॅ बात जे लागै, हिरदय छूवै हो
पढ़ै-लिखै के बात सच-सच लागै हो
मनोॅ में उठै छै हिलोर सजन
हो पढ़ै-लिखै के हो।
साजन- सुनोॅ-सुनोॅ-सुनोॅ हमरोॅ बात सजनी
चलोॅ पढ़ै-लिखै लेॅ हो।
सजनी-चलोॅ-चलोॅ चलोॅ-चलोॅ चलोॅ-चलोॅ सजन
जैबै पढ़ै-लिखै लेॅ हो।