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सुबह के सगुन / सांवर दइया
Kavita Kosh से
सूरज दे गया
दरवाजे पर दस्तक
खिड़की से आकर गिरा
आंगन में अखबार
हत्याएं,
आगजनी
बम विस्फोट
अपहरण-बलात्कार
ये तो है
सुबह के सगुन
बीतने को बाकी
पड़ा है अभी तो सामने
पहाड़-सा दिन……
पहाड़-सी रात……