भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सूतल छलहुँ ऊँच रे हवेलिया / मैथिली लोकगीत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सूतल छलहुँ ऊँच रे हवेलिया
सुतलहुँ आंचर ओछाइ गे माई
सुतलमे बाबा सपन एक देखलहुँ
तिरहुत हाट विवाह गे माई
जे तिरहुतिया साजल बरिअतिया
थर-थर कांपय करेज गे माई
किए देखि आहे बेटी बइसक देबनि
किए देखि देबनि तमोल गे माई
किए देखि आहे बेटी जइतुक देबनि
किए देखि सुबुधि सिआन गे माई
चालि देखि आहे बेटी बइसक देबनि
मुख देखि देबनि तमोल गे माई
धन देखि आहे बेटी जइतुक देबनि
सीता देबनि सुबुधि सिआन गे माई