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सूरज-६ / ओम पुरोहित ‘कागद’

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दीवारों के ऊपर से
झांकता घरों में
आया था सूरज
गांव में !

खाली था गांव
खाली थे घर
उल्टे पडे़ थे बर्तन !

मौन चूल्हों में
थोडी देर
सुस्ता कर
चला गया सूरज !

अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"