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सूरज सो शैतान / मानसिंह राठौड़
Kavita Kosh से
सुरधरणी रो सूरमो,मरुधरा तणो मान ।
चमके देखो शान सूं,सूरज सो शैतान ।।1।।
भली भोम आ भारती ,जूझ्या कई जवान ।
हेक जूझयो जोरगो,सूरज सो शैतान ।।2।।
आभे चमके बीजळी,चंदो पण असमान ।
चमके चहुँ दिस आपणो,सूरज सो शैतान ।।3।।
बाणासर रो बालक्यो,बणग्यो वीर जवान ।।
चटाई धूड़ चीन ने,सूरज सो शैतान ।।4।।
शत शत मार्या हेकले,पछ तजिया निज प्रान ।
अवनी ऊपर अमर है,सूरज सो शैतान ।।5।।
सीमा पर चौकस रियो,जब लग घट में प्रान ।
सरगां पूग्यो सूरमो,सूरज सो शैतान ।।6।।
लाज दूध री राखली,अर मायड़ रो मान ।
दीपै मरुधर देश में,सूरज सो शैतान ।।7।।