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सूरुज / राजकुमार

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सुरुज उठै छै,
अन्हारोॅ के मेटै लेली
मतर अन्हार की मिटी जाय छै?
सुरुज उठै छै,
लोगोॅ केॅ जगाबै लेली
की लोगें जगी जाय छै?
अगर जों जगतिहै,
तेॅ जग जगमग नै करतिहै?
लोगें एक-दोसरा केॅ नै ओढ़तिहै?
सुरुज उठलोॅ छै उठले रहतै
सुरुज डुबलोॅ कहिया छै?
सुरुजोॅ के डूबै के धोखा में,
डूबतें रहलोॅ छी हम्में
पता नै
सुरुजोॅ के उठै के बोध,
हमरा कहिया होतै?