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सोन चिरैया / सुरेश विमल
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हरे हरे महलों में रहती
सोन चिरैया रे
वृक्ष लताओं की नगरी में
कुंज आम का एक घनेरा
इसी कुंज के बीच सुहाना
सोन चिरैया का है डेरा।
हर मौसम में रहे चहकती
सोन चिरैया रे।
खुली हवा में आसमान की
जब जी चाहे सैर करे है
खट्टे मीठे फल जंगल के
खाकर अपना पेट भरे है।
गति ही जीवन कहती सबसे
सोन चिरैया रे।