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सोर संदेश / मुरली चंद्राकर
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(कारी में गाया गया)
हो~अ~रे सुवना कहिबे धनिल गोहराय
लोखन होगे सोर संदेस नोहर होगे
परछी म परछो लेवाए रे सुवना
तन मौरे मन मौहा महक मारे
लुगरा के लाली लुलुवाय रे सुवना
कुहकथे कोयली करेजा हुदक मारे
आँखी के कजरा बोहाय रे सुवना
सैता के सुतरी सांकुर भइगे संसो म
सैया सैया साँस सुसुवाय रे सुवना
मन रंग कुसुम कुसुम रंग धनि होगे
आंखिच आँखी म समाय रे सुवना
भूलन खुंदा के भुलागे बछर होगे
धनि लाबे संग समझाय रे सुवना