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सौंसे गामोॅ के एक्के हाल / प्रसून लतांत
Kavita Kosh से
मंड़ुआ के रोटी खेसाड़ी के दाल
सौंसे गामोॅ के एक्के हाल ।
बाबूजी-बाबूजी गुरू जी नै आवै छै
आवै छै तेॅ उंघै छै कुछु नै पढ़ावै छै
सुतै के तेॅ सुतै छै छुटियो नै दै केॅ भगावै छै
आय-काल की कहियौं स्कूली के हाल
मंड़ुआ के रोटी खेसाड़ी के दाल
सौंसे गामोॅ के एक्के हाल ।
भैया हो भैया गाँवोॅ के छौड़ा डोलै
घूमतें-घूमतें कुछु-कुछु ऊ बोलै छै
सुन-सपाटोॅ में कुछु-कुछु ऊ खोलै छै
डोॅर लगै छै देखी केॅ छौड़ा के हाल
मंड़ुआ के रोटी खेसाड़ी के दाल
सौंसे गामोॅ के एक्के हाल ।
माय हे माय, सैंया राति आवै छै
ताड़ी पीवी केॅ कुछु सें कुछु गावै छै
न आपनें खाय छै, न ककरो खिलावै छै
कहै छियै कमाल लेॅ तेॅ कहै छै बजाय छै गाल
मंड़ुआ के रोटी खेसाड़ी के दाल
सौंसे गामोॅ के एक्के हाल ।