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स्थगित स्वप्न (कविता) / लैंग्स्टन ह्यूज़ / अमर नदीम
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क्या होता है
एक स्थगित स्वप्न का?
क्या वह सूख जाता है
धूप में
किशमिश की तरह?
या पक जाता है
किसी घाव की तरह
और बह निकलता है?
क्या वह बदबू देने लगता है
सड़े हुए गोश्त की तरह?
या फिर उसके ऊपर
शकर की मीठी पपड़ी
जम जाती है
किसी रसीली मिठाई की तरह?
शायद वह
बस, झुक जाता है
किसी भारी बोझ की तरह।
या
उसमें
विस्फोट हो जाता है?
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : अमर नदीम