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स्थिति / अनिरुद्ध प्रसाद विमल

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मीरा
मैंने तुमसे
इतना ही तो कहा था
कि इधर देखो
ये बेली के पौधे
जिसे तुमने लगाये थे
किस तरह फूलों से
लद-लद गये हैं
आओ, हम दोनों रात भर
इन फूलों को प्यार करें।
लेकिन
न जाने क्यों
क्या समझ कर
तुम
उदास शाम के अंधकार सी
लगने लगी हो
मैं
इन खिले फूलों
और
तुम्हारे उदास चेहरे के बीच
हथौड़े और पत्थर के मध्य
चूर होते
कोयले की तरह
हो रहा हूँ।