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स्मरणिका / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’
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गाम नाम मन पड़ितहिँ पहिने तात चरणहिक ध्यान
तदनु हुनक अनुपम अनुसरणी मातुल-तनुज महान
भैया कहि कहि जनिक समैया जीवन रितल समस्त
जनि बिनु तातक अन्तिम चरण बितैछल सतत उदस्त
दिव्य रूप, चरितहुँ अनूप, स्वार्थहु परार्थहुक योग
बाबू विदित गोपालजीक आकृति नहि बिसरय योग
बौआकाका कहि जनि चरणक धूलि चढ़ाबी माथ
तनिकहि नामक स्मरण - पुण्यसँ निजकेँ करी सनाथ