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स्वयंवर / सौमित्र सक्सेना
Kavita Kosh से
मैं इस पेड़ से उस पेड़ तक उड़ा
फिर हवा में
कलाबाज़ी खाई और ज़मीन की मिट्टी में लोटकर
झटपट उसके पास आ गया ।
वो मुझे देखकर
छिप गई पत्तों मे और फिर धीरे से
निकल आई कुछ देर बाद ।