भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
स्वाद / हर्षिता पंचारिया
Kavita Kosh से
सिलबट्टे से लेकर इमामदस्ते
जितने भारी रहे उतने ही
“कुटाई” में अव्वल रहें
"मिक्सर" के जमाने में “स्वाद” की अपेक्षा निरर्थक है ।