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हँसुआ सम्हार ले / अरुण हरलीवाल
Kavita Kosh से
हमरा से बोलइ धनखेतवा पुकार के--
हँसुआ पर धार दे, हँसुआ सम्हार ले।
देवइ हम जान, मगर देवइ न मान हो!
खून अउ पसेना से पटवल हइ धान, हो!
कउनो कीमत पर नइँ देवइ जमीनदार के।
बरफ नऽ कोय बूझे, बइठल ही मउन जे।
जान गेली, हमर असल दुसमनवाऽ कउन हे।
करिया महाउत उजर हाथी सवार हे।
लाख-लाख साथी जन भेलन कुर्बान, हो!
कते माय-बहिनन के लुट गेलइ मान, हो!
जुल्मी बसइलक ई लूटनबजार के।
अपन फसिल भेजब नऽ उनकर गोदाम, हो!
भूखल नऽ मरतइ अब हमर संतान, हो!
ओकरे जमीन, जउन घिसे अपन हाँड़ के।
सहली बहुत, आउ सहबइ नऽ भाय हो!
जुलुम के खिलाफ मिलि लड़बइ लड़ाय, हो!
सब्भे के जिए जुगुत रचबइ संसार के।