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हटाना अपनी दुनिया से / कुमार सुरेश
Kavita Kosh से
== हटाना अपनी दुनिया से
सड़क पर बेतहाशा दुनिया
हर आदमी भागता हुआ
अपनी अलग दुनिया ले कर
एक ही दुनिया में बहुत सारी दुनिया
एक दूसरे से अलग
गुथी आपस में
परस्पर निर्भर
एक पूछता दुसरे से हालचाल
दूसरा चौक कर देता जवाब
सब ठीक है
कौधता नहीं उसकी स्म्रति में
कब कब किसने पूछा यही सवाल
दिया कितनों को
यही घिसापिटा जवाब
उस वक्त भी जब ठीक नहीं था
कुछ भी आज ही की तरह
पूछने और बताने वाले दोनों
कुछ भी ठीक नहीं होने से
कतरा कर निकलते हुए
हटाते एक दूसरे को अपनी दुनिया से
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