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हमको दुखी देखकर प्यारे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
Kavita Kosh से
हमको दुखी देखकर प्यारे तनिक दुःख यदि हैं पाते।
अति अपराधी, क्यों न हमारे सभी मनोरथ मर जाते॥
क्यों न सदा हम सुखी परम हो उन्हें खूब सुख पहुँचाते।
क्यों न सदा प्रसन्नमुख हँस-हँस कर हम उन्हें हँसा पाते॥