हमने उसूल नहीं रचे
उसूलों ने हमें रचा है ।
ऋतुओं ने ज्ञान दिया,
ऐसे जीओ, ऐसे चलो,
अन्धी शास्त्रीयता से —
काँटे उगे — कुचलो ।
मानव-मूल्यों के पाठ,
उसूलों के सबक —
सहेजते रहे
अपने हो के रहे ।
हमने उसूल नहीं रचे
उसूलों ने हमें रचा है ।
पतझर में झरे —
वसन्त में फूले-फले
मौसमों में जीतते रहे जीवन —
उसूल राही रहे ।
—
दिसम्बर 1988