Last modified on 22 अक्टूबर 2019, at 22:54

हमने कही तुमने सुनी / उर्मिल सत्यभूषण

हमने कही तुमने सुनी
कुछ कह गये, कुछ रह गई

पढ़ लो किताबे दिल मेरी
है खून से लिखी हुई

यह इन्तिहा ही दर्द की
मेरे लिये मरहम बनी

अब उम्र के इस मोड़ पर
मुझसे मिली आ जिं़दगी

वादे सबा का शुक्रिया
छू छू के हमको जोड़ती

दामन था उसका चाक पर
हंसती मिली जिंदादिली

उर्मिल मुखातिब खुद से थी
थी आश्ना, आशिक बनी।