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हमने देख है / रेणु हुसैन
Kavita Kosh से
हमने देखा है
अश्कों से भीगे चेहरे
गुमसुम-सी, ठहरी-सी निगाहें
पेशानी पर पड़ी सिलवटें
सीने में घुटती सांसें
हमने देखा है
मरती-मिटती सभी चाहतें
दरपन-से टूटे सपने
रंग बदलते सारे रिश्ते
बेगानों-से सब अपने
हमने देखा है
भूखी प्यासी झोंपड़ियाँ
मौज उड़ाती मीनारें
छोटा होता जाता इन्सां
ऊँची उठती दीवारें
हमने देखा है