हमरऽ नै सरकारे के मानऽ / खुशीलाल मंजर
हे हो काका! है की करै छऽ
वचलऽ इज्जत कैहिने बुड़ाय छऽ
हेनऽ चलऽ कि सब कोय जानौं
छोटका बड़का सब कोय मानौं
है की चलै छऽ कुलबोरनऽ चाल
सभ्भे मिली केॅ फुलाबै छौं गाल
बच्चौ केॅ भिनकाबै छऽ
हे हो काका! है की करै छऽ
खाय रऽ जे छेकै घी दूध खा
चलेॅ तेॅ नारंगी बेदाना भी खा
है की खाय छऽ कचरा आरो घुघनी
आगू में राखी केॅ ताड़ी के लबनी
बापौ दादा रऽ नाम कहिनै हँसाबै छऽ
हे हो काका! है की करै छऽ
चौक चौराहा परेॅ जहाँ भी जाय छी
सभ्भे रऽ मुँहऽ सें यहेॅ सुनै छी
की करै छऽ हुनकऽ चर्चा
दारू पीबी पीबी केॅ बढ़ाबै छौं दर्जा
उठतें बैठतें हरदम गारी
जेकरौ सें भला भली होकरो सें अरारी
की हरदम दाँत बिदोड़ै छऽ
हे हो काका है की करै छऽ
आभियों तेॅ उमरऽ रऽ करऽ लिहाज
सब धन बुढ़लौं तहियो नै लाज
नांती पोता सें घऽर भरलऽ छौं
माय बैठी केॅ कोनटॉ में कांनै छौं
आँखीं में काकी के हरदम लोर
तोहें खेलै छऽ झिंगाझोर
चिलमऽ पर चिलम गाँजा खूब पीयै छऽ
हे हो काका! है की करै छऽ
हम्में की कहयौं सब कोय कहै छौं
कऽर कुटुमें सम्मैं दसै छौं
गाँव टोला में भी कानाफुसी
हमरऽ नै सरकार के मानऽ नसाबन्दी
काका केन्हौ केॅ छोड़ऽ है घुरफन्दी
की अभियो जी मुँह बढ़ाबेॅ छऽ
हे हो काका! है की करै छऽ