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हमरोॅ छोटोॅ भाय / मृदुला शुक्ला
Kavita Kosh से
हमरोॅ नूनू छोटोॅ भाय,
ऐलोॅ छै लै हमरी माय।
नान्होॅ-नान्होॅ गोड़ छै जेकरोॅ,
नान्होॅ-नान्होॅ हाथ;
हमरा देखी खुश होय जाय छै
रहलोॅ हरदम साथ।
पापा संग में बाहर गेलोॅ
टुकुर-टुकुर देखलकोॅ,
भूख लगै भर देर कि समझोॅ
सैंने दिन कानलकोॅ।
कुछुवो बात कभी नै बोलै;
कुछुओ याद कभी नै होलै;
हमरै लगै पढ़ाना छै,
बाहरो लै केॅ जाना छै।