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हमरोॅ पर्यावरण / नवीन ठाकुर 'संधि'

सगरे हल्ला-गुल्ला करै छै,पर्यावरण-पर्यावरण,
मतुर, कोय नै करै छै ओकरोॅ अनुसरण।

सब्भै समझै सोचै छै,
काश! कोय नै ओकरा खोजै छै
यहेॅ रं दिन बितलोॅ जाय रहलोॅ छै,
सब्भेॅ जीवोॅ रोॅ घुटी-घुटी होय रहलोॅ छै मरण।
सगरे हल्ला-गुल्ला करै छै,पर्यावरण-पर्यावरण।

जौं हरियाली पौधा बचाय केॅ रखतौं,
एकरोॅ करलोॅ फल सब्भै भोगतौं।
एकरा सें साँस पर साँस भोजन पैयतौं,
एकरां सें सुख, शांति, निरोग रहतौं।
नै करोॅ पर्यावरण केरोॅ हरण।
सगरे हल्ला-गुल्ला करै छै, पर्यावरण-पर्यावरण।

जंगल-झाड़ कटी केॅ वरसा घटलै,
दुशित हवा रोॅ कचरा सें धरती भरलै।
सब्भे तरह केॅ रोगोॅ सें जीव चराचर जरलै
आबेॅ तेॅ महज देहोॅ में धुकधुकी बचलै।
‘‘संधि’’ कहै छै पेड़-पौधा रोॅ वरण,
सगरे हल्ला-गुल्ला करै छै, पर्यावरण-पर्यावरण।