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हमसे न पूछो प्यार क्या है / शैलेन्द्र
Kavita Kosh से
हमसे न पूछो कोई प्यार क्या है पूछो बहार से
हँस-हँस के दिल देने में क्या जीत क्या हार है पूछो बहार से
अँगड़ाई ली है मेरे दिल में किसी ने
मुझको दीवाना किया एक दिल्लगी ने
कैसा समाँ है आज मौसम जवाँ है
ऐसी ख़ुशी में हमें होश कहाँ है
हमसे न पूछो ...
झूम रही हाय मेरी मस्त जवानी
कह दी अदाओं ने दिल की कहानी
हमसे न पूछो ...