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हमारी प्रतिज्ञा / धीरज कंधई
Kavita Kosh से
जननी की जय-जय गाएँगे
हम सेवा करते जाएँगे
सुख की हमको चाह नहीं
दुख की हमको परवाह नहीं
तन-मन-धन-प्राण चढ़ाएँगे
चाहे पड़ती हो धूप कड़ी
चाहे वर्षा की लगे झड़ी
पीछे पग नहीं हटाएँगे
हम सेवा करते जाएँगे
दीनो का दुख हरेंगे हम
माता के लिए मरेंगे हम
हम अपनी टेक निभाएँगे
हम सेवा करते जाएँगे